खेल जीवन पद्धति को जीने की एक ताकत है: सांसद

|मुरारी कुमार सिंह |15 सितम्बर 2014|
खेल और संगीत का जीवन में बहुत ही अधिक महत्त्व है. खेल व्यापार नहीं है, बल्कि जीवन पद्धति को जीने की एक ताकत है. खेल जीवन की अच्छाइयों को ताकत तो देता है साथ ही बुराइयों को दूर रखने में भी मदद करता है. वर्तमान समय में समाज में आई विकृतियों को दूर कर सम्पूर्ण सार्वभौमिक समाज की कल्पना हम खेल में माध्यम से कर सकते है. खेल के बिना एक विकसित और मानवतापूर्ण समाज की कल्पना नहीं कर सकता है. खेल एक सुन्दर व्यक्ति का निर्माण करता है.
      जिला मुख्यालय के संत अवध बिहारी महाविद्यालय में कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित जिला स्तरीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता का उदघाटन करते हुए मधेपुरा के सांसद ने खेल को बेहतर जीवन के लिए अत्यावश्यक बताते हुए उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतियोगिता पंचायत स्तर भी होना चाहिए ताकि ग्रामीण प्रतिभाओं को भी उभरने का मौका मिल सके.
      बता दें कि जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता आज से प्रारम्भ हुआ है जिसमें विभिन्न खेलों से सम्बंधित खिलाड़ी अपनी खेल क्षमता का प्रदर्शन कर सकेंगे. खेल प्रतियोगिता खेल प्रशिक्षक संत कुमार की देखरेख में हो रहा था.
  सुनें इस वीडियो में सांसद को, यहाँ क्लिक करें.
खेल जीवन पद्धति को जीने की एक ताकत है: सांसद खेल जीवन पद्धति को जीने की एक ताकत है: सांसद Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 15, 2014 Rating: 5

1 comment:

  1. कोई नेता या राजनेता क्या करेगा? मैंने बहुत छोटी उम्र में ये सब देख लिया|पप्पू यादव कि तरह कई दिग्गज नेता आये और गये| किसी ने मधेपुरा के खिलाडी को क्या दिया? लड्डू 00000
    आज मधेपुरा का ये इतिहास है कि यहाँ के खिलाडी राष्ट्रीय क्या अंतराष्ट्रीय स्तर पर भाग ले रहें हैं| वहीँ एक और उनके खेलने-कूदने के लिये एक अच्छी फील्ड तक नहीं हैं| मधेपुरा में खिलाड़ियों कि ऐसी स्तिथि है जैसे गली के ......| यहाँ सिर्फ खेल के नाम पर शोषण और पैसे कि उगाही हो रही हैं| कुछेक खेल को छोड़कर यहाँ सभी खेलों को अनदेखा किया जाता हैं|
    कोई भी नेता हो आते हैं फीता काटे.....अंत में दो चार भाषणों में कह देते हैं ये बच्चे देश कि भविष्य हैं ,उसके बाद उन्हें पूछने कौन जाता हैं| कोई नहीं, इस बात कि मे १००% गारन्टी देता हूँ|
    मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि मधेपुरा में खेल के नाम पर मात्र और मात्र पैसे कि उगाही होती हैं| जिसकी जांच होनी चाहिये| जिसे ये नहीं पता कि मधेपुरा में कहाँ और कौन सी टीम हैं, शायद वो आज मधेपुरा के कोच कहलाते हैं|

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