संसार रूपी दल-दल में सभी कष्टों का कारण ‘मैं’: मलय प्रज्ञा जी

|अमित कुमार|16 सितम्बर 2014|
संसार रूपी दल-दल में सभी कष्टों का कारण मैं और मेरा भाव है. यह बातें जैन समाज की श्रमणी निर्देशिका मलय प्रज्ञा जी ने शहर स्थित जैन समाज के अनुयायी हंसराज जी बाफना के आवास पर आयोजित मंगल प्रवचन में कही. उन्होंने कहा कि इस संसार रूपी दल-दल में रहने के बावजूद भी जो संत धार्मिक विचार के होते है वो सांसारिक मोह माया से दूर रहते है. राजस्थान बालोत्रा की संचित प्रज्ञा एवं असम की नीति प्रज्ञा ने भी मंगल प्रवचन में अपने उद्गार व्यक्त किए. मंगल प्रवचन में ध्यान एवं योगासन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. जिसमे मुरलीगंज, सरसी, बनमनखी, जानकीनगर सहित आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालूओं ने भाग लिया. मौके पर हंसराज बाफना, ब्रहमानंद जायसवाल, बाबा दिनेश मिश्र, विकास आनंद, श्यामलाल सोनी, कानीराम जैन, बिनोद बाफना, कैलाश अग्रवाल, रूपचंद्र सेठिया, चन्द्रभूषण भगत, अरूण नाहटा, डॉ० शिवावतार भगत, इंदरचंद बोथरा, सत्यनारायण मंडल सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण मंगल प्रवचन में शामिल हुए.
संसार रूपी दल-दल में सभी कष्टों का कारण ‘मैं’: मलय प्रज्ञा जी संसार रूपी दल-दल में सभी कष्टों का कारण ‘मैं’: मलय प्रज्ञा जी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 16, 2014 Rating: 5

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