डॉक्टर को जबरन पटना ले जाने के मामले का पूरा सच

|वि० सं०|17 सितम्बर 2014|
मधेपुरा सदर अस्पताल में पदस्थापित 38 वर्षीय चिकित्सक डा० संतोष कुमार को एक रोगी के परिजनों के द्वारा जबरन पटना ले जाने के मामले में हुए खुलासे से कई अन्य बातें सामने आई है.
      डा० संतोष कुमार ने न्यायालय के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत अपने बयान में खुद को सुरमाहा निवासी पतरघट प्रखंड प्रमुख मनोज यादव और रायभीर निवासी पिंटू यादव के द्वारा उन्हें रोगी को पटना रेफर करने के बाद जबरन ले जाने की पूरी कहानी बताई है. लंबी-चौड़ी कहानी में कुछ बातें उल्लेखनीय हैं.
      डॉक्टर का कहना है कि 11 सितम्बर की रात जब मनोज यादव और पिंटू यादव उन्हें रोगी के साथ पटना ले जाने की जिद कर रहे थे तो पिंटू ने मोबाइल से सिविल सर्जन से बात की थी और इस जिद पर थे कि डा० संतोष कुमार को हमारे साथ जाने दीजिए. लगातार दवाब पर सिविल सर्जन ने एकबार डॉक्टर को कह दिया था कि आप क्या कीजियेगा, इसके साथ चले जाइए नहीं तो ये लोग काफी हंगामा करेगा. यदि दूसरे डॉक्टर का ईमरजेंसी में इंतजाम हो जाता है तो आप ड्यूटी छोड़कर चले जाइएगा.
      मधेपुरा थाना कांड संख्यां 505/2014 में न्यायालय में डॉक्टर संतोष कुमार ने कहा कि उसके बाद जब कोई डॉक्टर नहीं आया और वे लोग फिर दवाब डालने लगे. फिर पिंटू और उसके साथ तीन-चार लड़कों ने सिविल सर्जन और डा० संतोष कुमार को मारने की धमकी दी और स्कॉर्पियो पर जबरन बिठाकर लेकर चले गए. रोगी को पीएमसीएच में भर्ती कराने के बाद उन्हें छोड़ दिया और वे 108 नंबर के एम्बुलेंस से वापस अगले दिन करीब 2.30 बजे मधेपुरा वापस आ गए.
      हालांकि डा० संतोष कुमार ने कहा है कि पटना ले जाने के क्रम में उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया.
डॉक्टर को जबरन पटना ले जाने के मामले का पूरा सच डॉक्टर को जबरन पटना ले जाने के मामले का पूरा सच Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 17, 2014 Rating: 5

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