जिले में सीडीपीओ ने बदला घूस लेने का तरीका

राकेश सिंह/१६ दिसंबर २०११
जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों को सीडीपीओ और अधिकारियों-कर्मचारियों ने लूट का बहुत बड़ा अड्डा बना कर छोड़ रखा है.यही नहीं कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की ढिठाई तो देखिये इनका तो यहाँ तक कहना है कि जब ऊपर तक ही खा रहे हैं तो मीडिया लाख छटपट करे इसमें मची ही रहेगी लूट.खबर मिली कि ऊपर के पदाधिकारियों ने सीडीपीओ और निचले कमीशन खाने में लिप्त कर्मचारियों को इस बात के लिए चेताया है कि कमीशनखोरी के सबूत का खुलासा हुआ तो खैर नहीं.पर खून का स्वाद चख चुके इन बाघ-बाघिनों को बांधना प्रशासन के लिए इतना आसान भी नहीं.आज की तारीख में भी घूसखोरी के इस नीच खेल में आंगनबाड़ी की सेविकाओं को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है.मधेपुरा टाइम्स के आंगनबाड़ी केन्द्रों के दौरे से इस बात का खुलासा हुआ है अब इस खेल में पूरे जिले में दलाल और आईसीडीएस के कई बड़ा बाबू भी शामिल हैं.सेविकाएं १२००-१५०० रू० आईसीडीएस के कार्यालय में पहुंचा जाती हैं जहाँ पैसे वसूली के लिए दलाल या बड़ा बाबू दांते निपोरे मिलते हैं.जिले में कहीं-कहीं तो इस हराम के माल के लिए खींचातानी की भी खबर है.बड़ा बाबू कहते हैं कि मैं इस हरामखोरी के लिए नियुक्त हूँ तो दलाल महाशय कहते हैं कि सीओ साहब या सीडीपीओ साहिबा ने उन्हें पैसे लेकर रख लेने को कहा है.यहाँ पाठकों को इस खींचातानी का फंडा समझा देना बेहतर समझता हूँ.बड़ा बाबू यदि पैसे वसूल करते हैं तो सरकारी आदमी होने के नाते खुद का कमीशन ज्यादा रखना चाहते हैं और दलाल चूंकि गैर-सरकारी तरह के हैं तो सीडीपीओ को दलालों के माध्यम से लेने से ज्यादा मिल जाता है.
           सेविकाओं ने बताया कि उनके साथ बहुत सी समस्याएं हैं.रजिस्टर भी उन्हें अपने पैसे से ही खरीदने पड़ते हैं.मकान भाड़ा सरकार की ओर से सिर्फ ढाई सौ मिलते हैं जबकि भाड़े के मकान में चल रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों को पांच सौ या इससे भी ज्यादा भाड़ा देना पड़ रहा है.जिले की एक सेविका ने तो मधेपुरा टाइम्स का कैमरा बंद समझ इसमें चल रहे घूसखोरी की विस्तार से चर्चा कर दी और कहा कि मेरा नाम नहीं आना चाहिए.दरअसल हम सेविकाओं से सम्बंधित स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो को पाठकों के सामने इसलिए नहीं लाना चाहते हैं कि इनके ऊपर के घूसखोर अधिकारी का गुस्सा इनपर ही बरस सकता है और इन मामूली मानदेय पाने वाली सेविकाओं की नौकरी खतरे में पड़ सकती है.
   जिलाधिकारी ने जब आंगनबाड़ी केन्द्रों की जांच की कमान अपने हाथ में ली तो इन केन्द्रों पर हडकंप सा मच गया.लगभग हरेक जांच में अनियमितता पाई जा रही है.बात सीधी है,काम पर ध्यान देने की बजाय अधिकाँश सीडीपीओ का ध्यान मासिक वसूली पर रहता है.जब पदाधिकारी स्तर के लोगों को ही पैसा चाहिए तो निचले कहाँ तक ईमानदारी बरत सकेंगे?
  (मधेपुरा टाइम्स जल्द ही इससे जुड़े कुछ लोगों को सबूत से साथ बेनकाब करने जा रही है ताकि यहाँ घूसखोरी रुके-न-रुके, पाठकों को ऐसे चेहरे पर थूकने का मन तो जरूर करेगा.)
जिले में सीडीपीओ ने बदला घूस लेने का तरीका जिले में सीडीपीओ ने बदला घूस लेने का तरीका Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 17, 2011 Rating: 5

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