ऐसा नहीं कि हमको मोहब्बत नहीं मिली

ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
बस जैसी आरज़ू थी वो चाहत नहीं मिली

दौलत है, घर है, ख़्वाब हैं, हर ऐश है मगर
फिर भी ये लग रहा है कि क़िस्मत नहीं मिली

रोका बहुत मगर वो मुझे छोड़कर गए
इन आंसुओं को आज भी क़ीमत नहीं मिली

इस ज़िंदगी में ख़्वाब-ओ-ख़यालात भी तो हैं
हमको ये सोचने की भी मोहलत नहीं मिली



हालाँकि सारी उम्र ही गुज़री है उनके साथ
“श्रद्धा” मेरा नसीब कि क़ुरबत नहीं मिली
--श्रद्धा जैन,सिंगापुर
ऐसा नहीं कि हमको मोहब्बत नहीं मिली ऐसा नहीं कि हमको मोहब्बत नहीं मिली Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 15, 2011 Rating: 5

3 comments:

  1. WOWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWWW

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  2. NICEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE

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  3. दिल को छु लेने वाली रचना.... आगे भी ऐसी रचना गढ़ती रहें...
    सूरज आनंद(मधेपुरा)

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