रविवार विशेष-कविता- फिर किसी से दिल लगाया जाएगा

अब नया दीपक जलाया जाएगा
फिर किसी से दिल लगाया जाएगा

चाँद गर साथी न मेरा बन सके
साथ सूरज का निभाया जाएगा

रस्म-ए-रुखसत को निभाने के लिए
फूल आँखों का चढ़ाया जाएगा

कर भला कितना भी दुनिया में मगर
मरने पे ही बुत बनाया जाएगा

आईना सूरत बदलने जब लगे
ख़ुद को फिर कैसे बचाया जाएगा

मेरी अलबम कुछ करीने से लगे
उनको पहलू में बिठाया जाएगा
रविवार विशेष-कविता- फिर किसी से दिल लगाया जाएगा रविवार विशेष-कविता- फिर किसी से दिल लगाया जाएगा Reviewed by Rakesh Singh on November 27, 2010 Rating: 5

13 comments:

  1. Bahut khoob shraddha ji....
    App yahan bhi :)

    ReplyDelete
  2. Bahut Hi Sundar Pangtiya Aapne Likhi Hai.
    Kucha Pangatiya Aap Ke Liye
    Husna Ki Aaho Se Jab Gaam Nikalate Hai
    Parde Hat Jaate Hai Jab Hum Nikalte Hai
    Wo To Shukra HAi Khooda Ka Ki Hum Kam Nikalate Hai
    Varna Jab Bhi Hum Nikalte Hai
    To Aacche Aaccho Ke Daam Nikalate Hai
    Manish Pol
    Indore (MP) India
    09827276969

    ReplyDelete
  3. श्रद्धा जी!आपकी कविता वास्तव में दिल को छूने वाली है.मधेपुरा टाइम्स को भी हार्दिक शुभकामनाएँ जो हमें स्तरीय कविताएँ पढ़ने के लिए मिल रही हैं.

    ReplyDelete
  4. कर भला कितना भी दुनिया में मगर
    मरने पे ही बुत बनाया जाएगा
    ....क्या बात है!

    ReplyDelete
  5. shradha ji aapki kavita dil ko choo lene wali hai.................very nice poem.......

    ReplyDelete
  6. your poem is too nice...............and heart touching.....................

    ReplyDelete
  7. YOUR POEM VERY NICE
    I LIKE THIS IS RELAY NICE

    ReplyDelete
  8. शेर होता है अब महीनों में
    ज़िन्दगी ढल गयी मशीनों में

    प्यार की रोशनी नहीं मिलती
    इन मकानों में, इन मकीनों में

    देख कर दोस्ती का हाथ बढ़ाओ
    सांप होते हैं आस्तीनों में

    ReplyDelete
  9. शेर होता है अब महीनों में
    ज़िन्दगी ढल गयी मशीनों में

    प्यार की रोशनी नहीं मिलती
    इन मकानों में, इन मकीनों में

    देख कर दोस्ती का हाथ बढ़ाओ
    सांप होते हैं आस्तीनों में

    ReplyDelete

Powered by Blogger.